Sunday 21 April 2024

ज़िन्दगी

हरी इलायची सी 

तीक्ष्णगंधा 

काली मिर्च जैसी उत्तेजक
दालचीनी सी मीठी
जायफल सी अनूठी
लवंग सम तीखी 
तेजपत्ते सी हल्की तिक्त
पर थोड़ी सी मंद 
अजवाईन सी तेज़ 
जवित्री सी गहरी
सौंफ सी सौम्य 
असरदार और शीतल
कितने स्वादों की संदुकड़ी तू ज़िन्दगी 
क्यों है इतनी स्वादु तू ज़िन्दगी 


©®मधुमिता


 #ज़िन्दगी5 

Friday 26 May 2023

ज़िन्दगी (4)

 

ऐ ज़िन्दगी
तेरे कितने रंग
कितने ढंग
हर रंग में रंग जाने को
जी चाहता है
हर ढंग अपनाने को
ये दिल मचलता है
चल बन जाती हूँ मैं भी
तुझ सी
ऐ ज़िन्दगी!

©®मधुमिता

#ज़िन्दगी4 

Wednesday 3 May 2023

ज़िन्दगी(3)

सुर्ख़ गर्म अंगारों सी 


कभी बर्फीली बौछारों सी


मसाला-नींबू के चटखारों सी


भरी बरसात में


धीमी आँच पर भुनती


सुनहरे भुट्टे की ख़ुश्बू सी 


सोंधी-सोंधी सी ज़िन्दगी!


©®मधुमिता

#ज़िन्दगी3

Monday 10 April 2023

ज़िन्दगी (2)



ऐ ज़िन्दगी ज़रा  मुस्कुरा दे 
ज़ख़्म भरे हैं रूह पे 
ज़रा सहला दे 
दर्द का शोर बहुत है 
तू ख़ामोशी से आकर
मुझे जकड़ ले 
फ़क्रत सुकूँ बख़्श जा रे ।।

©®मधुमिता

#ज़िन्दगी2

Sunday 9 April 2023

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी की रेलम पेल में हुज़ूर 

इतनी अदब रखिए ज़रूर 

कभी किसी राह में गर टकरा जाएँ

तो कह सकें कि 

"कहिए कैसे हैं जनाब!'


©®मधुमिता


#ज़िन्दगी1

Tuesday 14 March 2023

शांति

 नही हमारे लिये यह निःशब्दता ना ही सन्नाटा मौत का,


ना पृथकता ना ही संजातीय पार्थक्य ,


और ना यह विश्रृंखल तंत्रिका विध्वंसकारक आवाज़ बमों और गोलियों की,


या यह खूनी बदबू , रक्तरंजित धरती की,


उष्म स्वर में शांति की आवाज़ लगाओ, मुहब्बत के सैलाब में, इस दुनिया को परिगृहित कर।


©®मधुमिता

Thursday 9 February 2023

उमर

ना असर करती है दुआ,

हो गयी बेअसर हर दवा l

ना रस,ना जल,ना हवा,

बस इक सूखा सा कुआं l

रुक जा ऐ उमर !

तू भाग चली किधर?

फिसल चली हाथों से,

टल रही है सब यादों से,

बालों की सफेदी से झांकती,

सर्द सी कफन मुझ ओर रेंगती,

धीमे-धीमे, हौले-हौले,

ना जाने कब यूंही मौत मुझसे मिलेll


©®मधुमिता